दुनिया सिया को करे न कलंकित अग्निपरीक्षा थी उचित दुनिया सिया को करे न कलंकित अग्निपरीक्षा थी उचित
मैं अन्धकार से मैं के प्रकाश में कब आता हूँ ! मैं अन्धकार से मैं के प्रकाश में कब आता हूँ !
एक जठर अग्निवेश की ये माया सात्विक मैं सात्विक मैं। एक जठर अग्निवेश की ये माया सात्विक मैं सात्विक मैं।
बासी भोजन नहीं करना। डॉक्टर के पास जो नहीं जाना। बासी भोजन नहीं करना। डॉक्टर के पास जो नहीं जाना।
तुम देखते कहाँ हो ? तुम बस भटकते रहते हो ! दिशाहीन तुम देखते कहाँ हो ? तुम बस भटकते रहते हो ! दिशाहीन
मानव मानवता की खातिर जीवन में स्वीकार करो प्रथम प्यार।। मानव मानवता की खातिर जीवन में स्वीकार करो प्रथम प्यार।।